Apple के शेयर 15% चढ़े | Trump Tariff रोक से बड़ा फायदा

Apple के शेयरों में 15% की रिकॉर्ड तोड़ बढ़त: Trump के टैरिफ रोकने का असर

दुनिया की सबसे मूल्यवान टेक कंपनियों में से एक Apple ने बुधवार को शेयर बाजार में इतिहास रच दिया। अमेरिका के राष्ट्रपति Donald Trump द्वारा “reciprocal tariffs” को तीन महीने के लिए टालने की घोषणा के बाद, Apple के शेयरों में एक दिन में 15% की ज़बरदस्त उछाल दर्ज की गई। यह 1998 के बाद से Apple का सबसे बेहतरीन ट्रेडिंग डे माना जा रहा है।

Wall Street में खुशी की लहर

President Trump के ऐलान के बाद Wall Street ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी, जिससे Apple के market capitalization में $400 बिलियन की बढ़ोतरी हुई और अब इसका टोटल मार्केट कैप लगभग $3 ट्रिलियन के करीब पहुंच चुका है। यह उपलब्धि इसलिए भी खास है क्योंकि जनवरी 1998 में जब Steve Jobs ने interim CEO के रूप में वापसी की थी, तब कंपनी का मार्केट कैप महज $3 बिलियन था।

टैरिफ्स के कारण Apple को हुआ था भारी नुकसान

पिछले सप्ताह राष्ट्रपति ट्रंप ने एक बड़ा ऐलान करते हुए सभी imported goods पर टैरिफ लगाने की घोषणा की थी। इससे global stock markets में गिरावट आई और केवल Apple के मार्केट कैप से ही लगभग $700 बिलियन की कमी हो गई थी। Apple की dependency consumer products जैसे iPhones, iPads, और Macs पर है जो अधिकतर Asian देशों में बनते हैं, इस वजह से कंपनी को भारी नुकसान उठाना पड़ा।

टैरिफ्स में छूट से भारत और वियतनाम को लाभ

Trump ने अपने हालिया बयान में यह स्पष्ट किया कि China को छोड़कर बाकी सभी देशों के लिए reciprocal tariffs को घटाकर 10% कर दिया जाएगा। चीन पर टैरिफ्स को बढ़ाकर 125% कर दिया गया है, जबकि वियतनाम पर tariffs को 46% से घटाकर 10% और भारत पर 26% से घटाकर 10% कर दिया गया है। इससे साफ है कि Apple अब चीन की बजाय भारत और वियतनाम जैसे देशों में manufacturing बढ़ाकर अपनी supply chain को diversify कर सकता है।

Apple का भारत में बढ़ता निवेश

Apple पिछले कुछ वर्षों से भारत को एक बड़े मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में विकसित करने में लगा हुआ है। सरकार की Production Linked Incentive (PLI) scheme, skilled workforce और logistics में सुधार ने Apple को भारत में निवेश के लिए आकर्षित किया है। Cupertino स्थित इस टेक दिग्गज ने न केवल अपने iPhone production को भारत में बढ़ाया है, बल्कि Apple Store expansion और local sourcing को भी प्राथमिकता दी है।

Bank of America के analyst Wamsi Mohan के अनुसार, साल 2025 में Apple भारत में लगभग 25 मिलियन iPhones बनाएगा। यह आंकड़ा Apple की वैश्विक रणनीति में भारत की अहम भूमिका को दर्शाता है।

भारत में Apple के सप्लायर्स कौन हैं?

Apple के iPhones भारत में तीन प्रमुख कंपनियों द्वारा असेंबल किए जाते हैं:

  • Foxconn Technology Group (ताइवान)
  • Pegatron Corporation
  • Tata Electronics (भारत)

इनमें से Foxconn की Chennai के पास स्थित यूनिट भारत में सबसे बड़ी iPhone मैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटी है और देश के कुल iPhone exports का 50% यहीं से होता है।

चीन से दूरी बनाने की रणनीति

Apple अभी भी अपने अधिकांश प्रोडक्ट्स की मैन्युफैक्चरिंग चीन में करता है, लेकिन बीते कुछ वर्षों में China और US के बीच बढ़ते राजनीतिक तनाव के चलते Apple ने अपनी dependency कम करने की दिशा में काम शुरू कर दिया है। भारत और वियतनाम को सप्लाई चेन का हिस्सा बनाकर Apple चीन के टैरिफ इम्पैक्ट को बैलेंस करना चाहता है।

वर्तमान में China पर बढ़ाए गए tariffs के कारण Apple को वहां प्रोडक्शन करना महंगा पड़ेगा, जिससे भारत और वियतनाम को एक बेहतर विकल्प के रूप में देखा जा रहा है। इससे न केवल Apple को cost benefits मिलेगा, बल्कि geopolitical risks भी कम होंगे।

भारत के लिए क्या मायने रखता है यह निवेश?

भारत के लिए यह एक golden opportunity है। Apple जैसे ग्लोबल ब्रांड का भारत में निवेश बढ़ाना न केवल टेक्नोलॉजी सेक्टर को मजबूत करेगा, बल्कि लाखों नौकरियों के अवसर भी पैदा होंगे। इसके साथ ही भारत के electronics exports को भी एक नया आयाम मिलेगा।

भारत सरकार पहले से ही high-end electronics manufacturing को बढ़ावा देने के लिए नीतियां बना रही है और Apple का यह रुझान उन प्रयासों की सफलता का संकेत है।

निष्कर्ष: मजबूत हो रही है Apple की वैश्विक स्थिति

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