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Essay on Pollution in Hindi- प्रदूषण पर निबन्ध हिन्दी में

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इस लेख में प्रदूषण क्या है, इसके कितने प्रकार है, प्रदूषण के प्रभाव, प्रदूषण से बचाव के उपाय आदि की जानकारी निबन्ध के रूप में दी गयी है। प्रदूषण पर निबन्ध कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8 के बच्चो के लिए उपयोगी साबित होगा और उन्हे Essay on Pollution in Hindi लिखने में सहायता मिलेगी।

Essay on Pollution in Hindi- प्रदूषण पर निबन्ध हिन्दी में (10 Lines) 

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  1. पर्यावरण में हानिकारक तत्वों का मिलना प्रदूषण कहलाता है।
  2. प्रदूषण कई प्रकार के होते है जैसे- जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण आदि।
  3. प्रदूषण की समस्या सिर्फ हमारे देश में ही नहीं बल्कि यह पूरे विश्व मे चिंता का कारण है।
  4. प्रदूषण मनुष्य तथा जानवरों के स्वास्थय के लिए अत्यन्त हानिकारक है।
  5. पर्यावरण में दिन प्रतिदिन बढ़ रहे प्रदूषण के लिए हम मानव ही जिम्मेदार हैं।
  6. गाड़ियों से निकलने वाला धुँआ, स्पीकर की तेज आवाज, मोबाइल टावरो से निकलने वाला रेडियेशन आदि प्रदूषण के कुछ कारण है। 
  7. प्रदूषण से प्राकृतिक असंतुलन पैदा होता है।
  8. बढ़ते प्रदूषण से कई प्रकार की बीमारियाँ पैदा होती हैं जैसे- मलेरिया, डेंगू, हैजा आदि।
  9. प्रदूषण को कम करने के लिए हमें अधिक से अधिक पेड़ लगाने चाहिए, गंदगी नहीं फैलाना चाहिए आदि
  10. पर्यावरण को बचाने तथा लोगो को प्रदूषण से जागरूक करने के लिए 2 दिसंबर के प्रतिवर्ष प्रदूषण नियंत्रण दिवस मनाया जाता है।

Essay on Pollution in Hindi- प्रदूषण पर निबन्ध (250 Words)

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प्रदूषण तथा प्रदूषण के प्रकार

प्रदूषण एक गंभीर वैश्विक समस्या है जिससे मनुष्य के साथ साथ अन्य प्राणियों जैसे- पक्षी, जानवर आदि सभी को खतरा है। Pollution का अर्थ है पर्यावरण का दूषित होना। पर्यावरण का दूषित होना हमारे स्वास्थय को खराब करता है।

प्रदूषण को मुख्यतः तीन भागों में बांटा गया है- वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण।

कल कारखानों का धुँआ, वाहनो का धुँआ, पटाखो का धुँआ, एअर कंडीशन से निकलने वाली गैस, कचरा जलाने का धुँआ आदि वायु प्रदूषण का मुख्य कारण है। इससे प्राणियों को सांस लेना मुश्किल हो जाता है और प्रदूषण सांस के द्वारा शरीर में पहुँच जाता है जो कि बहुत हानिकारक है। 

नालों, कारखानों, घरों का दूषित पानी नदी, तालाबों आदि में मिलकर भयंकर जल प्रदूषण पैदा करता है। पानी का एक जगह पर बहुत दिनों तक जमाव मच्छर तथा अनेकों बीमारियाँ पैदा करता है। 

यातायात का शोर, लाउड स्पीकरों का शोर, पटाखों का शोर तथा वह सभी आवाजे जिनकी आवृत्ति 20 हर्टज से अधिक होती है  वह ध्वनि प्रदूषण कहलाता है।

प्रदूषण के प्रभाव तथा बचाव के उपाय

प्रदूषण से न सिर्फ शारीरिक नुकसान हैं बल्कि इसकी वजह से प्रकृति में असंतुलन बढ़ रहा है। इसकी वजह से समय पर वर्षा नहीं हो पाती है और अन्य मौसमों का भी क्रम बिगड़ रहा है। तूफान, चक्रवात, सूखा, बाढ़, सूनामी आदि प्रकार की आपदाओं का कारण प्रदूषण ही है।

प्रदूषण को बढ़ाने में हम लोग भी काफी जिम्मेदार है, हमें कचरा नहीं फैलना चाहिए, पानी के जमाव को रोकना चाहिए, पेड़ों की अंधाधुध कटाई रोकनी चाहिए, पानी का कम इस्तेमाल करना चाहिए। अगर हम समझदारी से कार्य करें तो पर्यावरण में उपस्थित प्रदूषण पूर्णतया खत्म कर सकते हैं। 

सबसे महत्वपूर्ण कार्य है वृक्षारोपण करना। हमें हर वर्ष वृक्षारोपण करके अधिक से अधिक वृक्ष लगाने होंगे। हमारा निवास स्थान स्वच्छ, हवादार, हरियाली से भरा होना चाहिए।

Essay on Pollution in Hindi- 500 Words

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प्रस्तावना- प्रदूषण का दिन प्रतिदिन बढ़ते स्तर की वजह मानवीय गतिविधियां है। जितना तेजी से हम विकसित हो रहे है उतनी ही तेजी से हम प्रदूषण भी फैला रहे हैं और अब तो यह हमारी जिन्दगी का एक अभिंग हिस्सा बन गया है। प्रदूषण से धरती पर रहने वाले सभी जीव- जन्तुओं को नुकसान हो रहा है।

प्रदूषण का अर्थ- प्रदूषण का अर्थ है पर्यावरण का दूषित होना। जब हमारे प्राकृतिक संसाधनों में दूषित तत्व मिल जाते है तो इससे हमारे स्वास्थय में तथा प्रकृति में कई नकारात्मक प्रभाव पड़ते हैं। इससे कई जीव- जन्तुओं के अस्तित्व खत्म हो रहें है।

प्रदूषण के प्रकार- प्रदूषण के कई प्रकार है जैसे वायु, जल, ध्वनि, मृदा, प्रकाश, ऊष्मीय प्रदूषण आदि, परन्तु इसको मुख्यतः तीन भागों में बांटा गया है जो निम्नलिखित हैं-

  1. वायु प्रदूषण- जब हमारे पर्यावरण की वायु दूषित होती है तो इसे वायु प्रदूषण कहते है इसके मुख्य कारण कारखानों, वाहनों, पटाखों, कचरा जलाने आदि से निकलने वाला हानिकारक धुँआ है। 
  1. जल प्रदूषण- पर्यावरण में उपस्थित जल का दूषित होना अथवा जल का पीने योग्य ना रह जाना जल प्रदूषण कहलाता है। इसके मुख्य कारण कारखानों से निकलने वाला गंदा पानी, नाली का पानी, शौचालय के टैंक का, जलस्तर का नीचे होना, अम्लीय वर्षा होना आदि है।
  1. ध्वनि प्रदूषण- जब ध्वनि की तीव्रता 20 हर्ट्ज से अधिक हो जाती है तो उसे ध्वनि प्रदूषण कहा जाता है। इसका मुख्य कारण लाउडस्पीकर, यातायात में वाहनों के हार्न, शादियों आदि में बैंड बाजा, डीजे, पटाखे आदि की आवाज है। 

प्रदूषण के प्रभाव- प्रदूषण, चाहे वह किसी भी प्रकार का हो, सभी जीव- जन्तु और प्राणियों के लिए अत्यन्त खतरनाक है। इससे श्वास लेने में तकलीफ होती, विभिन्न प्रकार के विषाणु शरीर के अंदर जाते हैं और घातक बीमारियां लेकर आते हैं। प्रदूषण से ही कई प्रकार के जीव जन्तुओं का अस्तित्व ही खत्म हो गया और कुछ के अस्तित्व पर संकट के बादल है। इससे हमें ही नहीं बल्कि प्रकृति भी प्रभावित है। समय से ऋतुओं का न आ पाना, गर्मी का बढना, अत्यधिक वर्षा, बाढ़, चक्रवात, तूफान, सूनामी आदि प्रदूषण का ही कारण है।

प्रदूषण से बचाव- प्रदूषण से बचने के लिए हम लोग ही कुछ कर सकते हैं। प्रदूषण से बचाव के निम्नलिखित उपाय हैं- 

निष्कर्ष- प्रदूषण सभी के लिए हानिकारक है और यह हमसे ही फैलता है। तो इसे कम करने के लिए भी हमें ही कदम उठाने होंगे। प्रदूषण से जीवन की कठिनाइया बढ़ती जायेगी और एक समय पर संसाधनो की कमी से हमारा असतित्व भी खत्म हो सकता है जब पीने को पानी नही मिलेगा, सांस लेना को शुध्द हवा नहीं मिल पायेगी आदि।

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Essay on Pollution in Hindi: FAQs

प्रदूषण पर निबंध कैसे लिखें?

प्रदूषण पर निबंध कई तरीकों से लिखा जा सकता है। बेहतर विचारों के लिए आप इस लेख में दिए गये प्रदूषण पर निबंध को पढ़ें।

प्रदूषण क्या है Class 4?

प्रदूषण का अर्थ है प्राकृतिक संतुलन में दोष पैदा होना। हमारे वातावरण में उपस्थित प्राकृतिक घटकों का दूषित होना प्रदूषण है।

प्रदूषण के कारण क्या है?

प्रदूषण के कई कारण है जिनमें से मुख्य अत्यधिक कार्बन उत्सर्जन है। इसके अलावा पालिथीन का अत्यधिक उपयोग, लाउडस्पीकर, पानी की बर्बादी आदि प्रदूषण के कारण है।

प्रदूषण क्या है प्रदूषण से होने वाली समस्या बताएं?

हमारे पर्यावरण का दूषित होना प्रदूषण है। इससे कई प्रकार की बीमारिया जन्म लेती है और जीव जन्तु को भी नुकसान हो रहा है वे लुप्त होते जा रहे हैं। अत्यधिक प्रदूषण से इंसान का जीवित रह पाना मुश्किल हो जाएगा।

प्रदूषण क्या है और कितने प्रकार के होते हैं?

प्रकृति में परिवर्तन प्रदूषण है। ये निम्न प्रकार के होते हैं-
वायु प्रदूषण
जल प्रदूषण
मृदा प्रदूषण
ध्वनि प्रदूषण आदि

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