Essay on Diwali in Hindi | दिवाली पर निबंध- 10 लाइन, 250 शब्द, 500 शब्द
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Essay on Diwali in Hindi | दिवाली पर निबंध For Kids- Class-1, 2 दिवाली पर 10 लाइन का निबंध
- दिवाली खुशियों और दीपों का त्योहार है, जो प्रत्येक वर्ष कार्तिक माह में मनाया जाता है। यह पर्व असत्य पर सत्य तथा बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है।
- दीपावली का त्यौहार भारतीय संस्कृति और परंपरा को विश्वपटल पर प्रदर्शित करता है।
- इस दिन भगवान श्रीराम चौदह वर्ष का वनवास काटकर अयोध्या वापस लौटे थे।
- भगवान श्रीराम की घर वापसी पर अयोध्यावासियों ने घी के दिये जलाये थे।
- उसी परंपरा को फालो करते हुए हम सब अपने घरों में घी और तेल के दिये जलाते हैं।
- प्रकाश के इस त्योहार में बच्चे और युवा खुशी में पटाखे और फुलझड़ी जलाते हैं।
- सांयकाल घर के सभी लोग एकत्र होकर धन की देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा करते हैं।
- इस अवसर पर नये कपड़े पहने जाते हैं और घर परिवार में मिठाईयाँ व उपहार बाँटे जाते हैं।
- दीपावली से पहले लोग अपने घर की अच्छी तरह से सफाई करते हैं और अपने घरों को रंग- बिरंगी लाइटों से सजाते हैं।
- भारत के अलावा दिवाली का त्योहार नेपाल, माॅरीशस, सिंगापुर, मलेशिया आदि देशों में बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है।
Essay on Diwali in Hindi | दिवाली पर निबंध– Class-4, 5 (250 Words)
प्रस्तावना- दिवाली अर्थात् दीपावली भारत सहित दुनिया भर में मनाया जाने वाला हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। यह एक सास्कृतिक परंपरा है जो सदियों से चली आ रही है। दीपावली प्रकाश और रोशनी का त्यौहार है, क्योंकि इस दिन दियों की श्रंखला बनायी जाती है और घरों को रंग बिरंगी लाइटों से रौशन किया जाता है।
समय और महत्व- दीपावली का त्यौहार कार्तिक माह की अमावस्या के दिन मनाया जाता है, जो कि अक्टूबर या नवंबर महीने में पड़ता है। इस दिन का हिन्दू धर्म में अत्यधिक महत्व है क्योंकि इस दिन मर्यादा पुरूषोत्तम श्रीराम चौदह वर्ष का वनवास बिताकर तथा लंकापति रावण को पराजित कर माता सीता के साथ अपने घर वापस अयोध्या पधारते हैं।
दीपावली की तैयारियाँ- दशहरा के बाद से ही दीपावली की तैयारियाँ बड़े जोश और उमंग के साथ शुरू हो जाती हैं। बाजारों में खूब भीड़ रहती है और लोग जमकर खरीददारी करते हैं। दुकानदार अपनी दुकाने सजाते हैं और तरह- तरह के आफर्स से ग्राहकों को आकर्षित करते हैं।
दिवाली की शाम घर के सभी लोग मिलकर भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की पूजा करते हैं और कामना करते हैं कि लक्ष्मीजी अपनी कृपा बनायें रखे। इसके बाद, पटाखे, फुलझड़िया आदि जलाकर बच्चे खुशियाँ मनाते हैं।
निष्कर्ष- दिवाली का त्योहार जोश और उत्साह के साथ जीवन में खुशियाँ लाता है, यह हमारी परंपरा और संस्कृति का परिचायक है। इस दिन, हमें बुरे कार्यों से बचना चाहिए और पटाखे भी सावधानीपूर्वक जलाने चाहिए। हमें अपने कार्यों एवं व्यवहार से किसी को भी दुख नही पहुँचाना चाहिए। इस पर्व को हर्षोल्लास के साथ मनाये तथा पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए पटाखे जलायें।
Essay on Diwali in Hindi | दिवाली पर निबंध– Class-7, 8 (500 Words)
प्रस्तावना- त्योहारों का हमारे जीवन में काफी महत्वपूर्ण स्थान होता है। दीपावली हमारे प्रमुख त्योहारों में से एक है जो कि खुशियों का त्योहार है। इस त्योहार के दौरान एक अलग ही प्रकार की रौनक और उत्साह देश में दिखाई देता है। पाँच दिनों तक चलने वाले इस त्योहार की व्यापक तैयारियाँ की जाती हैं।
दीपावली कब मनाई जाती है- दिवाली का भव्य त्योहार, ग्रेगोरी कैलेण्डर के अनुसार, अक्टूबर अथवा नवंबर महीने में प्रत्येक वर्ष मनाया जाता है। हिन्दू पंचाग में यह दिन कार्तिक माह की अमावस्या का होता है। अमावस्या की अंधेरी रात दियों की रोशनी से सराबोर दिखाई देती है।
पौराणिक कथा- विष्णु के सातवें अवतार माने जाने वाले भगवान राम का जन्म माता कौशल्या और राजा दशरथ के घर हुआ। राजा दशरथ की दूसरी रानी कैकयी ने राजगद्दी के लोभ में भगवान राम को चौदह वर्ष का वनवास देने की मांग की थी, जिसके बाद भगवान राम, माता सीता और भात्र लक्ष्मण चौदह वर्ष तक जंगलो में भटके थे।
चौदह वर्ष का लम्बा समय बिताने के बाद, जब भगवान राम वापस अपने घर अयोध्या पधारते हैं तो अयोध्यावासी खुशी से फूले नही समाते हैं और घी के दिये जलाकर अपने राजा का स्वागत करते हैं। तभी से, दिवाली का त्योहार प्रत्येक वर्ष मनाया जाता है।
एक अन्य कथा के अनुसार, इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर नामक राक्षस का वध किया था। इसके अलावा, भगवान महावीर का निर्वाण दिवस दिवाली के दिन ही होता है।
दिवाली का उत्सव– दिवाली का त्योहार धनतेरस से भाई दूज तक चलता है। पहले दिन, धनतेरस में लोग सोना चाँदी व कीमती सामान खरीदते हैं। व्यापारी अपने नये बही खाते बनाते हैं और व्यापार की तरक्की की मनोकामना करते हैं।
दूसरा दिन नरक चौदस होता है, उस दिन सूर्योदय से पहले स्नान करना शुभ माना जाता है। तीसरा दिन अमावस्या होता है जिस दिन दिवाली होती है, शाम को लक्ष्मी-गणेश की पूजा की जाती है। इस दिन नये कपड़े पहने जाते हैं, घरों को रंग- बिरंगी लाइटों से सजाया जाता है, पूरे घर में दिये जलाकर रखे जाते हैं, खील-बताशे का प्रसाद चढ़ाया जाता है, पूजा के बाद फुलझड़ी और पटाखे छुड़ाये जाते हैं और घर का दरवाजा माता लक्ष्मीजी के आगमन के लिए खोलकर रखा जाता है।
अगला दिन एक दूसरे से मिलने और शुभकामनाएं देने का होता है। आखिरी दिन, भाई दूज का होता है जब बहने अपने भाइयों की पूजा करती हैं।
दीपावली पर ध्यान रखने योग्य बातें- दीपावली खुशियों, प्रेम और मिलवर्तन का त्योहार है परंतु कुछ लोग इस दिन शराब पीते हैं और जुआं खेलते हैं जो घर व समाज के लिए काफी बुरा है। हम इस तरह की बुराईयों से बचते हुए एक सभ्य समाज की नींव रखनी चाहिए।
इसके अलावा, अत्यधिक पटाखे, फुलझड़िया, बम, राकेट आदि छुड़ाने से हमारे पर्यावरण पर काफी बुरा असर पड़ता है। हमें सीमित मात्रा में सावधानीपूर्वक पटाखे आदि छुड़ाने चाहिए।
निष्कर्ष- दिवाली रोशनी का त्योहार है जो समृद्धि का सूचक माना जाता है। लोग घरों में गणेश-लक्ष्मी की पूजा करते हैं और धन-धान्य का वरदान मांगा जाता है। अच्छी आदतों संग, पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए जिम्मेदार नागरिक की तरह हमें दिवाली सेलिब्रेट करनी चाहिए। Essay on Diwali in Hindi के अंत में, पटाखे छुड़ाने के समय पर्यावरण और स्वयं का भी ख़्याल रखें और बच्चों को पटाखों से दूर रखें।
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Essay on Diwali in Hindi: FAQs
दीपावली कब मनाई जाती है?
दीपावली का त्योहार प्रत्येक वर्ष कार्तिक माह की अमावस्या को मनाया जाता है।
दिवाली का त्यौहार क्या भारत देश में ही मनाया जाता है ?
नही, दिवाली का त्यौहार सिर्फ भारत में ही नही, बल्कि मलेशिया, माॅरीशस, नेपाल, सिंगापुर आदि जैसे देशों मे धूम- धाम से मनाया जाता है।
सरल शब्दों में दीपावली क्या है?
दीपावली हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है जो भगवान श्रीराम द्वारा 14 वर्ष वनवास के बाद अयोध्या वापसी की खुशी में मनाया जाता है। इसे दीपोत्सव भी कहते हैं।
दीपावली का पर्यायवाची शब्द क्या है?
दीपावली के पर्यायवाची शब्द हैं- दीपमााल, दीपोत्सव, दिवाली, दीपमलिका आदि।
आपने दीपावली कैसे मनाई 100 शब्दों में लिखिए?
दीपावली के त्योहार से दो दिन पूर्व मैनें घर की सफाई और साज- सज्जा में भरपूर योगदान दिया। दिवाली वाली शाम हमारी माता जी ने मिट्टी के दिये जलायें जिन्हे एक-एक कर मैने पूरे घर में रखा और कुछ देर बाद, हमने घर की छत पर पटाखें, फुलझड़िया, राकेट आद। देर शाम को सभी ने मिलकर भगवान गणेश और माता लक्ष्मी जी की पूजा की व आशीर्वाद लिया।