टाइफ़ाइड क्या है?

टाइफाइड क्या है – Typhoid Fever & Symptoms in Hindi

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टाइफ़ाइड बुखार जीवाणु संक्रमण द्वारा होने वाली बीमारी है जो की मानव शरीर के पाचन तंत्र को प्रभावित (gastrointestinal infection) करता है लेकिन ध्यान रहे यह बुखार शरीर के विभिन्न अंगों को भी प्रभावित कर सकता है। टाइफ़ाइड को विभिन्न नामों से भी जाना जाता है जैसे की typhoid in Hindi में आंत्र ज्वर कहलाता है तथा कुछ क्षेत्रों में इसे मोतीझरा, हड्डियों के बुखार, टाइफ़ाइड मलेरिया नाम से भी जाना जाता है। 

टाइफ़ाइड बुखार के मुख्य लक्षण (Typhoid symptoms in Hindi)तेज बुखार, उल्टी और डायरिया हैं तथा यह बुखार साफ–सफाई न होने और दूषित भोजन तथा पानी से फैलता है। टाइफ़ाइड से ज्यादा प्रभावित देश भारत, पाकिस्तान, अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका, मध्यपूर्व देश हैं। इस लेख के माध्यम से typhoid fever in Hindi में जानेंगे और साथ में इसके कारक और बचाव के बारें में भी जानेंगे

Typhoid Meaning in Hindi तथा इसके कारक 

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टाइफ़ाइड Salmonella typhi बैक्टीरिया द्वारा फैलता है, यह जीवाणु संक्रमण मक्खियों, मल, दूषित पदार्थ द्वारा फैलता है तथा यह बीमारी अत्यधिक संक्रामक है। जब भी कोई व्यक्ति संक्रमित भोजन खाता है यह पानी पीता है, तब यह जीवाणु उसके मुंह के माध्यम से उसके पेट के रास्ते होते हुए छोटी आंत (small intestine) में पहुँच जाता है। यह जीवाणु छोटी आंत में एक से तीन हफ्ते तक रहता है और अपनी संख्या को बढ़ाता है।

Small intestine में रहते हुए यह जीवाणु intestine wall को प्रभावित करता है जिसके कारण  छोटी आंत में सूजन, intestine bleeding और छोटे – छोटे holes होते हैं और इसी के माध्यम से Salmonella typhi बैक्टीरिया मानव शरीर के रक्तप्रवाह में पहुँच जाता है। इस जीवाणु के रक्तप्रवाह में पहुँचने के पश्चात यह शरीर के विभिन्न अंगों को प्रभावित करता है।

मानव शरीर को संक्रमित करने के बाद यह जीवाणु रक्तप्रवाह (bloodstream) और intestinal tract में रहता है। टाइफ़ाइड बुखार मानव शरीर के प्रतिरक्षा प्रणाली (immunity response) को भी प्रभावित करती है। समय पर ध्यान देने से टाइफ़ाइड बीमारी से मुक्ति पाई जा सकती है परंतु ध्यान न देने पर यह बीमारी घातक भी हो सकती है। 

टाइफ़ाइड जीवाणु का संचरण (Transmission) – Typhoid In Hindi

टाइफ़ाइड बुखार के जीवाणु fecal – oral transmission के द्वारा फैलते हैं। Salmonella typhi बैक्टीरिया संक्रमित व्यक्ति के मल में होते हैं यदि मल निष्कासन के बाद संक्रमित व्यक्ति अच्छे से हाथ धुले बिना अन्य वस्तुओं को छूते हैं या लोगों से मिलते हैं तो टाइफ़ाइड स्वस्थ लोगों में भी फैल जाता है।

कई बार ऐसा भी होता है की कुछ व्यक्ति इस संक्रमण से पूरी तरह ठीक हो चुके होते हैं तथा टाइफ़ाइड संबन्धित कोई भी लक्षण इनमें दिखाई नहीं देते हैं फिर भी उनके मल में टाइफ़ाइड जीवाणु होते हैं और ये व्यक्ति संक्रमण फैलाने में सक्षम होते हैं। ऐसे लोगों को chronic carriers कहा जाता है।

Typhoid Symptoms in Hindi 

संक्रमित व्यक्तियों के अंदर टाइफ़ाइड मलेरिया के लक्षण एक से दो सप्ताह के अंदर ही ज़ाहिर होने लगते हैं। सही उपचार के लिए जरूरी है की आपको टाइफ़ाइड के लक्षण पता होने चाहिए, टाइफ़ाइड बुखार के सभी लक्षण निम्न हैं –

  • बुखार आना – बुखार कम तापमान से शुरू होता है फिर धीरे – धीरे बुखार का तापमान प्रतिदिन बढ़ता रहता है जो की अधिकतम 104.9 F तक पहुँच सकता है। 
  • सिर और पेट में दर्द होना 
  • उल्टियाँ होना 
  • कफ या खांसी – झुकाम होना 
  • डायरिया 
  • थकान और कमजोरी महसूस करना 
  • भूख न लगना 
  • लीवर के कार्यों में असमान्यताएं होना (abnormalities in liver functions)
  • मांसपेशियों में दर्द होना 

टाइफ़ाइड के लक्षण पता चलते ही तुरंत इलाज़ करने पर संक्रमित व्यक्ति एक हफ्ते के अंदर स्वस्थ हो सकता है। यदि इस बीमारी का समय रहते इलाज नहीं किया गया तो टाइफ़ाइड के नुकसान हो सकते हैं, इस स्थिति  से संबन्धित कुछ लक्षण निम्न हैं –

  • न्यूमोनिया होना (Pneumonia)
  • किडनी खराब होना (kidney failure)
  • अग्नाशय में सूजन होना 
  • रक्त वाहिकाओं में संक्रमण हो जाना 

टाइफ़ाइड का उपचार – Typhoid In Hindi

टाइफ़ाइड के इलाज में एंटीबायोटिक दवाएं दी जाती हैं, टाइफ़ाइड की इंग्लिश दवाओं केनाम Ciprofloxacin, Azithromycin हैं हालाकि ये दोनों दवायें गर्भवती महिलाओं को नहीं दी जाती है। इसके अलावा टाइफ़ाइड इन्फ़ैकशन ज्यादा होने पर इंजेक्शन भी दिया जाता है, टाइफ़ाइड इंजेक्शन का नाम Ceftriaxone है।

टाइफ़ाइड का आयुर्वेदिक इलाज – Typhoid In Hindi

आयुर्वेद में टाइफ़ाइड को आंतरिक ज्वर के रूप में देखा जाता है तथा इस बीमारी से रोकथाम के लिए ज्वरनाशक और शोधन विधि का उपयोग किया जाता है। टाइफ़ाइड को जड़ से खतम करने के लिए अँग्रेजी दवाओं के अलावा के कई आयुर्वेदिक उपचार भी हैं जो की निम्न हैं –

  • आयुर्वेद में माना जाता है की शोधन विधि द्वारा शरीर डीटोक्स होता है और यह विधि वात, पित्त तथा कफ को समत्व रखते हुए शरीर को संतुलित अवस्था में रखती है। 
  • आयुर्वेद में कई जड़ी – बूटियों को टाइफ़ाइड में प्रभावी माना गया है जैसे की –
  • जटामांसी – यह पेट संबन्धित विकारों या समस्याओं को दूर करने में सहायक होती है। 
  • सुदर्शन चूर्ण – यह लगभग 50 जड़ी – बूटियों का मिश्रण है जिसे टाइफ़ाइड में काफी प्रभावी माना जाता है। 
  • खूबकला – यह शरीर के तापमान को कम करती है।
  • गुडूची – यह शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सहायक होती है। 
  • गिलोय – यहजड़ी – बूटी भी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है। 
  • तुलसी, मुलेठी, शहद और मिश्री के काढ़े को भी प्रभावी माना जाता है जो की सर्दी – झुकाम में सहायक होता है। 
  • लौंग तथा लहसुन के सेवन को भी टाइफ़ाइड बुखार में काफी फायदेमंद माना गया है।  
  • यह भी माना जाता है की दालचीनी का उपयोग टाइफ़ाइड इनफेक्सन को कम करने में काफी उपयोगी है। 
  • बेल के फल को पेट संबन्धित विकारों जैसे अपच की समस्या को दूर करने में प्रभावी माना जाता है। 
  • फलों के जूस का सेवन करें और साथ में अधिक से अधिक पानी पियें।

टाइफ़ाइड होने पर किन बातों का ध्यान रखें

टाइफ़ाइड मलेरिया होने पर दवाओं के साथ – साथ कई अन्य बातों का भी ध्यान रखना चाहिए जैसे खान – पान में क्या शामिल करना या किन चीजों से परहेज करना है इत्यादि।

टाइफ़ाइड होने पर निम्न बातों का ध्यान रखें (Typhoid Fever in Hindi)

  • तेल, मिर्च – मसाला, मांसाहारी और भारी भोजन का सेवन न करें क्यूंकी इस प्रकार के भोजन को पचने में अत्यधिक समय लगता है। इस अवस्था के दौरान हल्का भोजन ही ग्रहण करें। 
  • अपने आस – पास सफाई रखें, स्वच्छ जल ही पियें और भोजन साफ – सफाई के साथ बनाएँ और स्वच्छता के साथ ग्रहण करें। 
  • टाइफ़ाइड होने पर रोगी गुंगुने पानी से नहा सकता है लेकिन सिर से नहाने से बचे। टाइफ़ाइड में नहाने के संबंध में किसी भी प्रकार के सवाल के लिए अपने डॉक्टर से जरूर सलाह लें।
  • थोड़ा – थोड़ा करके आहार ग्रहण करें और कच्ची सब्जियों तथा साबुत अनाज के सेवन से बचें। 
  • खाना खाने से पहले हमेशा अपने हाथों को ढंग से धुले। 
  • चाय, कॉफी, सिगरेट, शराब से दूर रहें। 
  • टाइफ़ाइड में दूध भी पीना चाहिए अपितु ध्यान रहे की दूध का सेवन करने से पहले दूध को अच्छी तरह उबाल लें। इसके अलावा रोगी द्रव्य पदार्थ जैसे जूस का भी सेवन कर सकते हैं। 
  • घर में यदि मक्खियों की समस्या है तो उसका निवारण करें क्यूंकी मक्खियों द्वारा यह बीमारी फैल सकती है। 
  • टाइफ़ाइड fecal – oral route के माध्यम से ज्यादा फैलता है इसलिए मल या अपशिष्ट पदार्थों को नष्ट करने की प्रणाली पर जादा ध्यान दें। 
  • टाइफ़ाइड बुखार होने पर अपने शरीर को ज्यादा से ज्यादा आराम दें और पूरी तरह से स्वस्थ होने के पश्चात ही काम पर वापस जाएँ। 
  • कभी – कभी स्वस्थ होने के पश्चात भी यह जीवाणु शरीर में रह जाता है (chronic carriers) इसलिए एक बार अपने मल का परीक्षण जरूर करवाएँ। 

टाइफ़ाइड से बचाव (Typhoid in Hindi)

कहा जाता है न, पूर्वोपाय इलाज से बेहतर है (Precaution is better than cure) इसलिए टाइफ़ाइड जैसी बीमारी के रोगी बनकर इलाज कराने से अच्छा है की आप पहले से ही कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखें और खुद को तथा अपनों को टाइफ़ाइड से बचाए। टाइफ़ाइड से बचाव के कुछ महत्तवपूर्ण बिन्दु निम्न हैं –

  • सही समय पर टाइफ़ाइड टीकाकरण करवाएँ। भारत में टाइफ़ाइड वैक्सीन, Inactivated typhoid vaccine (vaccine shot) और live typhoid vaccine (oral) में उपलब्ध है। Vaccine shot दो वर्ष या उससे अधिक वर्ष के बच्चों को दी जाती है जबकि oral vaccine छह: वर्ष से अधिक उम्र वाले व्यक्तियों को दी जाती है। 
  • स्वच्छ जीवनशैली का अनुसरण करें, अपने आस – पास गंदगी को इकट्ठा न होने दें।
  • कोशिश करें की बाहर के बने भोजन जैसे स्ट्रीट फूड को न खाएं।
  • टाइफ़ाइड संक्रमित लोगों से दूरी बनाकर रखें और टाइफ़ाइड ग्रसित क्षेत्रों में यात्रा करने से बचें।
  • हमेशा खाना खाने से पहले अच्छे से हाथ धोये।
  • शौचालय का उपयोग करने के बाद ध्यान से हमेशा हाथों को ठीक तरह से साफ करें।
  • टाइफ़ाइड के लक्षण दिखने पर तुरंत अपनी जांच करवाएँ।

निष्कर्ष

टाइफ़ाइड बुखार जीवाणु Salmonella typhi द्वारा फैलता है, typhoid in Hindi में आंत्र ज्वर के नाम से जाना जाता है। इस बीमारी के लक्षण ज्ञात होते ही सही समय पर टाइफ़ाइड का इलाज शुरू कर देना चाहिए। इसके लक्षण एक से दो हफ्ते में दिखते लगते हैं, यदि रोगी लक्षणों के दिखने के बावजूद भी इलाज में देरी करते हैं तो जान का भी खतरा हो सकता है। क्या आपको पता है की टाइफ़ाइड के होने वाले वैश्विक मामलों में सिर्फ दक्षिण एशिया क्षेत्र से 70% तक टाइफ़ाइड मामलें आते हैं।

टाइफ़ाइड से खुद को बचाने के लिए साफ
1. सफाई का ध्यान रखें,
2. संक्रमित व्यक्तियों से दूर रहें
3. सही समय पर टीकाकरण करवाएँ और खान–पान का ध्यान रखें। 
4. गर्भवती महिलाओं को और भी अधिक सावधानी बरतने की जरूरत है क्यूंकी टाइफ़ाइड की स्थिति में उनको और उनके बच्चे दोनों को खतरा होता है।
5.खुद को स्वस्थ रखें तथा अपने आस–पास के लोगों को भी स्वस्थ रखे और लक्षण दिखने पर तुरंत अपना टाइफ़ाइड टेस्ट करवाएँ और इलाज शुरू करें। 

इस लेख में हमने typhoid in Hindi में बहुत सी बातें जानी हैं अंततः ध्यान रखें स्वयं से इलाज न शुरू करें हमेशा डॉक्टर की सलाह लें। 

FAQ

1. टाइफ़ाइड (Typhoid Fever in Hindi )कौन से बैक्टीरिया से होता है?

टाइफ़ाइड बुखार एक जीवाणु संक्रमण रोग है जो की Salmonella typhi बैक्टीरिया द्वारा फैलता है। 

2. टाइफ़ाइड से शरीर का कौन सा अंग प्रभावित होता है?

टाइफ़ाइड बुखार होने पर, शुरुआती समय पर मानव शरीर का पाचन तंत्र प्रभावित होता है, फिर धीरे – धीरे छोटी आंत और शरीर के सभी अंग जैसे फेफड़े, किडनी, लीवर, पित्ताशय प्रभावित होने लगते हैं। 

3. टाइफ़ाइड में कौन सी एंटी बायोटिक दवा दी जाती है?

टाइफ़ाइड में Ciprofloxacin, Azithromycin,Ceftriaxone एंटी बायोटिक दवाएं दी जाती हैं।

4. टाइफ़ाइड के लक्षण क्या है?( Typhoid Symptoms in Hindi)

टाइफ़ाइड संक्रमित लोगों में टाइफ़ाइड के लक्षण एक से दो हफ्तों में दिखने लगते हैं। ये लक्षण – सिर दर्द होना, पेट दर्द, शरीर दर्द, उल्टी होना, डायरिया, ठंड लगना, थकान और कमजोरी महसूर करना, भूख न लगना इत्यादि हैं। 

5. टाइफ़ाइड बुखार ठीक होने में कितना समय लगता है?

लक्षण दिखते ही अगर सही समय पर टाइफ़ाइड का इलाज शुरू कर दिया जाये तो टाइफ़ाइड के लक्षणों को 3 से 5 दिन में कम किया जा सकता है और रोगी पूरी तरह से 7 से 14 दिन में ठीक हो सकता है। यदि लक्षण दिखने पर सही समय पर उपचार शुरू न किया गया तो ठीक होने में एक महीना भी लग सकता है और यह रोगी के लिए जानलेवा भी हो सकता है।  

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