black box kya hai

Black Box क्या है? विमान हादसे के बाद क्यों इसकी जांच होती है, जानें सब कुछ

जब किसी कारण से कोई एयरप्लेन या एयरक्राफ्ट crash होता है तो जिम्मेदार अथॉरिटी कैसे पता लगाती है कि किस वजह से प्लेन crash हुआ है। इसमें Black Box होता है जो इनकी मदद करता है। एयरप्लेन कैसे और क्यूँ crash हुआ, इसका पता इन्वेस्टिगेटर ब्लैक बाॅक्स की मदद से लगाते हैं।

Black Box Kya Hai?

ब्लैक बॉक्स जिसको टेक्निकली ‘फ्लाइट डाटा रिकॉर्डर’ भी कहते है, ये एक डिवाइस होता है जो एयरप्लेन या एयरक्राफ्ट के सारी एक्टिविटीज को रिकॉर्ड करता है जब वो हवा में होते है। एक एयरप्लेन मे अक्सर दो ब्लैक बॉक्सेस होते है, एक आगे होता है और एक एयरक्राफ्ट मे पीछे की तरफ होता है। वैसे ये डिवाइस का नाम ब्लैक बॉक्स है लेकिन अक्सर ये ‘bright orange’ कलर के होते है नाकि ब्लैक कलर के।

ये डिवाइस फ्लाइट की जानकारी को रिकॉर्ड करते है और ऐसे इवेंट को reconstruct करने में मदद करते है जिनकी वजह से एयरक्राफ्ट crash हुआ है। ब्लैक बॉक्स विशेष अल्गोरिथम के साथ काम करता है। इसमें वोइस रिकॉर्डिंग फीचर भी होते है जो रिसर्च में काम आते है।

ब्लैक बॉक्स को टाइटेनियम मेटल से बनाया जाता है और इस तरह से पैक होता है के वह किसी भी परिस्थिति में मजबूती से खड़ा रह सकता है चाहे वो समुद्र में गिरे या फिर हाइट से ज़मीन पर गिरे। 

ब्लैक बॉक्स कैसे काम करते है?

ब्लैक बॉक्स accidents होने के ‘कारण’ बताते है और ऐसे हादसों से अगली बार कैसे बचे तरीकें खोजने में मदद करते है। ब्लैक बॉक्स को सबसे पहले 1947 में इस्तेमाल किया गया था। फिर 1958 के बाद इसे सिविल एरोनॉटिक्स बोर्ड के दुआरा हर एयरप्लेन और एयरक्राफ्ट मे रखना ज़रूरी करदिया गया। ब्लैक बॉक्स मे प्लेन से जुडी हर तरह की जानकारी और बातें स्टोर रहती है। इसके मजबूत डिजाईन की वजह से ये हर कंडीशन में प्रोटेक्टेड रह सकता है।

पैसेंजर प्लेन के ब्लैक बॉक्स पानी के अन्दर से 90 दिनों तक signals भेज सकते है। ब्लैक बॉक्स वज़न में लगभग पांच किलो के होते है, जैसे ही ये पानी के प्रभाव में आते है एक्टिवेट हो जाते है और signals भेजना शुरू करते है। यानि जो टीम प्लेन क्राश के बाद इसे ढूंडने आती है वह समुद्र में भी इसे ढूंड सकते है।

ब्लैक बॉक्स में क्या होता है?

पायलट के बातचीत भी ब्लैक बॉक्स में रिकॉर्ड होती है, ताके पायलट की आखरी बातचीत रिसर्च करने वाले सुन सके। लेकिन ये काम हर ब्लैक बॉक्स नहीं करता, कुछ ब्लैक बॉक्स सिर्फ प्लेन का डाटा स्टोर करते है और कुछ ब्लैक बॉक्स दोनों काम कर सकते है। 

ये कोई नया डिवाइस नहीं है बल्कि इसे बहुत सालों से इस्तेमाल किया जाता रहा है और आज भी उसी principle पर काम करता है। ये डिवाइस आखिरी के 2 घंटे पायलट की बातचीत और पिछले 25 घंटे के aircraft के डाटा को स्टोर करके रखता है।

Plane crash का असर ब्लैक बॉक्स पर पड़ता है? 

ब्लैक बॉक्स को इस तरह से बनाया जाता है के एक्सीडेंट हो तो इसपर सबसे कम प्रबाव पड़ेगा। इसलिए इन्हें प्लेन के पीछे रखा जाता है। ब्लैक बॉक्स को एक granite की तरह मजबूत बनाया जाता है। 1100 डिग्री Celsius के temperature में भी इसके अन्दर की चीजों को कुछ समय के लिए कुछ नहीं होता है। ब्लैक बॉक्स को एयरक्राफ्ट में रखने से पहले इस पर बहुत सारे टेस्ट किये जाते है। 

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ब्लैक बॉक्स मिलने के बाद क्या होता है?

ब्लैक बॉक्सेस मिलने के बाद, इन्वेस्टिगेटर ब्लैक बॉक्स/रिकॉर्डर को लैब में लेकर जाते है, रिकॉर्डर से डाटा को डाउनलोड करते है और एक्सीडेंट के इवेंट को recreate करने की कोशिश करते है। इस प्रोसेस को पूरा होने मे कुछ महीने या कुछ साल लगते है। अगर ब्लैक बॉक्स डैमेज नहीं होता है तो investigators आसानी से रिकॉर्डर को ‘readout system’ से कनेक्ट करके प्ले कर सकते है। 

बहुत बार ऐसा होता है के ब्लैक बॉक्स के हिस्से बहुत कमज़ोर हो जाते है या जल जाते है, इस तरह के केसेस में मेमोरी बोर्ड को निकाला जाता है, क्लीन किया जाता और न्यू मेमोरी इंटरफ़ेस इनस्टॉल किया जाता है। फिर मेमोरी बोर्ड को चालू रिकॉर्डर से कनेक्ट किया जाता है, अब इस रिकॉर्डर में विशेष सॉफ्टवेर होते है जो फिरसे डाटा को निकाल सकते है बिना उसे बल्दे। 

अब एक्सपर्ट की टीम इस निकाले हुए डाटा को interpret करती है। इस टीम में एयरलाइन के प्रतिनिधि होते है और एयरलाइन बनाने वाले होते है, NTSB ट्रांसपोर्टेशन स्पेशलिस्ट होते है, और NTSB air-safety इन्वेस्टिगेटर होता है। ये ग्रुप मिलकर रिकॉर्डर की 30 मिनट की बातों को अपने हिसाब से समजने की कोशिश करते है। ये काम बहुत मुश्किल होता है जिसे पूरा होने में कुछ हफ्ते लग सकते है।

निष्कर्ष

ब्लैक बॉक्स की टेक्नोलॉजी पर फिलहाल बहुत काम हो रहा है, इसमें विडियो रिकॉर्ड करने की क्षमता पर काम किया जा रहा है। इसके अलावा ब्लैक बॉक्स दुसरे गाड़ियों में भी लगया जा रहा है, बस हमें पता नहीं होता है लेकिन 90% नयी cars में ये डिवाइस लगया जाता है जो ब्लैक बॉक्स की तरफ काम करते है।

इससे रिसर्च करने वालों को प्लेन crash होने का कारण मिलता है और भविष्य में होने वाले एक्सीडेंट को बचाने के तरीके ढूंडने में मदद करता है। आशा है अब आपको पता चलगया होगा के Black Box Kya hai और कैसे काम करता है।

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